डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल ,सैक्टर– 14,गुड़गाँव
साहित्यिक सप्ताह ( 18 अप्रैल से 26 अप्रैल 2016)
महादेवीवर्मा की
विविध कहानियों में से चयनित कहानी संग्रह ‘ मेरा परिवार ‘ की कुछकहानियों का
सारांश प्रस्तुत है |
सोना
‘सोना’पाठ हिन्दी की
सुप्रसिद्ध लेखिका और कवयित्री श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित है |इसमें
लेखिका ने अपनी पालतूहिरनी सोना का सजीव चित्रण किया है | सोना एक स्नेहशीला,चंचल
हिरनी है जो अपने भोलेपन से सबको आकृष्ट करती है | बच्चे,बड़े,पशु-पक्षी सभीउसके
आगे-पीछे घूमना पसंद करते है| लेकिन जब सोना बड़ी हो जाती है तो वह ख़ोई-खोई सी रहने
लगती है| उसे अपने साथियों का ख्याल आने लगता है |एक बार जब लेखिका तीर्थ-यात्रा
पर गई हुई थी तो सोना सूने मैदान में अपने को बाँधी जाने रस्सी का ख्याल किए बिना
इतनी ज़ोर से उछली किमुँह के बल आ गिरी| उसकी मृत्यु हो गई | इस घटना से मर्माहत
होकर लेखिका ने तय किया कि वहकिवह कभी हिरन नहींपालेगी लेकिन संयोग से उन्हें हिरन
ही पालना पड़ा |
नीलू
महादेवी वर्मा को
पशु-पक्षियों से अत्यंत प्रेम था | नीलूमहादेवी वर्मा का पालतू कुत्ता था |
प्रस्तुतकहानी ‘नीलू’ मेंमहादेवी वर्मा के पालतू खरगोशों की जान बचाने के लिए नीलूरात-भर
ओंस में भीगता हुआ द्वार पर खड़ा रहा |इसपरोपकारी के कारण उसे न्युमोनिया
होगया|कहानी में नीलूकी सहृदयता दिल को छूने वाली है | पाठ में लूसीऔर उसके बेटेनीलूसे
जुड़े अपने अनुभवों को उन्होंने अत्यंत सहज,सरल सरलरूप में इस प्रकार प्रस्तुत किया
है कि उन दोनों की सहृदयता व विवेकशीलता पाठक के मन को छू जाती है |
गौरा
प्रकृति हमारी माँ
है और पशु-पक्षी हमारे सहजीवी| लेकिन आज का मानव स्वार्थ-पूर्ति के लिए निर्ममता
से पशु-पक्षियों की हत्या कर रहा है | प्रस्तुत कहानी‘गौरा‘ महादेवीवर्मा द्वारा
पालित गायकी कहानी है|महादेवी अपनी छोटी श्यामा के घर से बछिया लाई | परिचितों और परिचारकों
ने गाय का स्वागत किया | गाय का नामकरण ‘गौरा’ किया गया | गौराव्यस्क अवस्था में सुबह-शाम
लगभग बारह सेरदूध देती थी |इस कारण ग्वालों से दूध मँगाना बंद कर दिया |ईर्ष्यावश
अपने धंधे को मंदाहोतेदेख ग्वाला गुड़ की बड़ी डलीके भीतर सूई रखकरगौराको खिलाकर
निर्दोष प्राणी की असमय मृत्यु निश्चित कर देता है | मर्मस्पर्शी इस कथा को पढ़ें |
दुर्मुख
प्रस्तुतकहानी
‘दुर्मुख ‘लेखिकामहादेवीवर्माद्वारालिखितखरगोशशावककीकहानीहै|
कहानीमेंदुर्मुखकीक्रोधीस्वाभावकेकारणउसेकोईलड़ाकू,दुर्वासाआदिनामसेपुकाराजाताथा|
अपनेक्रोधीस्वाभावके कारणवहमहादेवीकेपालतूपशु-पक्षियोंकोनुकसानपहुँचाता था|
उसकेक्रोधकोकमकरनेकेलिए मादाखरगोशहिमानीकोलायागया| दुर्मुखकाक्रोधकमनहींहुआ|
हिमानीकेसंयोगसेजो शावकहुए दुर्मुख उन्हेंहीनुकसानपहुँचानेलगा| एकबारअपनेक्रोधीस्वाभावकेकारणदुर्मुखसँपोलेपरहीआक्रमणकरबैठा|क्रोधीप्रकृतिमेंभीपार्थिवरूपसेमारकविषनहींरहता|
इसीसेबेचारादुर्मुखसँपोलेकाभीदंशन – विषनहींसहसका,
परन्तुमृत्युसेपहलेउसनेशत्रुकेदोखानकरकेअपनाप्रतिशोधलेलिया|
कहानीमेंमातृ-स्नेहसेवंचितशिशुशावककेह्रदयस्पर्शीकथाहै|
निक्की, रोजीऔररानी
महादेवी वर्मा को
पशु-पक्षियों से अत्यंत प्रेम था | प्रस्तुतकहानीमेंनिक्कीनेवला, रोजीकुत्ती
औररानीघोडीकीकहानीहै| रोजीकुत्तीमहदेवीकेपिता
केकिसीराजकुमारविद्यार्थीद्वाराउन्हेंउपहारस्वरूपभेंटडीगईथी|
निक्कीउन्हेंउनकेप्रियविश्रामालयकेसूखेपोखरसेमिला|किन्हीं
विशेषपरिस्थियोंमेंरानीमिली| कहानीमेंतीनों जीवोंकेबारेमेंबतायागयाहै|
नीलकंठपाठमहादेवीवर्माद्वारारचितहै|
महादेवीकेजीवनकाएकबहुतबड़ाहिस्सापशु-पक्षियोंकेबीचव्यतीतहुआहै| महादेवीनेपशु-पक्षियों
परआधारितअनगिनतकहानियाँलिखीहै| नीलकंठभीउसीश्रृंखला काहिस्सा है | नीलकंठएकमोरहै|
महादेवीअपनेसाथदोबच्चेलेआतीहै|
एकनरमोरकानामनीलकंठरखतीहैऔरदूसरेमादामोरकानामराधारखतीहै|नीलकंठस्वाभावमेंस्नेही,साहसीऔरनिडरहै|
अपनेस्वभावकेकारण वहजालीघरमहादेवीवर्मातथाअन्यपशु-पक्षियोंकाप्रियबनजाताहै|
परन्तुकुब्जामोरनीकेआनेसेनीलकंठकोअकालमृत्युकाग्रासबननापड़ताहै|
इसरचनामेंलेखिकानेपशु-पक्षियोंकेप्रतिप्रेमऔरसंरक्षणकीभावनाकोप्रेरितकियाहै|
इसरचनामेंमनुष्यऔरपक्षियोंकेबीचआपसीसंबंधोंकाबड़ाहीसुन्दररूपदेखनेकोमिलताहै|
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