Saturday 16 April 2016

महादेवीवर्मा की विविध कहानियाँ

डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल ,सैक्टर– 14,गुड़गाँव
साहित्यिक सप्ताह ( 18 अप्रैल से 26 अप्रैल 2016)

महादेवीवर्मा की विविध कहानियों में से चयनित कहानी संग्रह ‘ मेरा परिवार ‘ की कुछकहानियों का सारांश प्रस्तुत है |


सोना

‘सोना’पाठ हिन्दी की सुप्रसिद्ध लेखिका और कवयित्री श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित है |इसमें लेखिका ने अपनी पालतूहिरनी सोना का सजीव चित्रण किया है | सोना एक स्नेहशीला,चंचल हिरनी है जो अपने भोलेपन से सबको आकृष्ट करती है | बच्चे,बड़े,पशु-पक्षी सभीउसके आगे-पीछे घूमना पसंद करते है| लेकिन जब सोना बड़ी हो जाती है तो वह ख़ोई-खोई सी रहने लगती है| उसे अपने साथियों का ख्याल आने लगता है |एक बार जब लेखिका तीर्थ-यात्रा पर गई हुई थी तो सोना सूने मैदान में अपने को बाँधी जाने रस्सी का ख्याल किए बिना इतनी ज़ोर से उछली किमुँह के बल आ गिरी| उसकी मृत्यु हो गई | इस घटना से मर्माहत होकर लेखिका ने तय किया कि वहकिवह कभी हिरन नहींपालेगी लेकिन संयोग से उन्हें हिरन ही पालना पड़ा |

नीलू

महादेवी वर्मा को पशु-पक्षियों से अत्यंत प्रेम था | नीलूमहादेवी वर्मा का पालतू कुत्ता था | प्रस्तुतकहानी ‘नीलू’ मेंमहादेवी वर्मा के पालतू खरगोशों की जान बचाने के लिए नीलूरात-भर ओंस में भीगता हुआ द्वार पर खड़ा रहा |इसपरोपकारी के कारण उसे न्युमोनिया होगया|कहानी में नीलूकी सहृदयता दिल को छूने वाली है | पाठ में लूसीऔर उसके बेटेनीलूसे जुड़े अपने अनुभवों को उन्होंने अत्यंत सहज,सरल सरलरूप में इस प्रकार प्रस्तुत किया है कि उन दोनों की सहृदयता व विवेकशीलता पाठक के मन को छू जाती है |
गौरा
प्रकृति हमारी माँ है और पशु-पक्षी हमारे सहजीवी| लेकिन आज का मानव स्वार्थ-पूर्ति के लिए निर्ममता से पशु-पक्षियों की हत्या कर रहा है | प्रस्तुत कहानी‘गौरा‘ महादेवीवर्मा द्वारा पालित गायकी कहानी है|महादेवी अपनी छोटी श्यामा के घर से बछिया लाई | परिचितों और परिचारकों ने गाय का स्वागत किया | गाय का नामकरण ‘गौरा’ किया गया | गौराव्यस्क अवस्था में सुबह-शाम लगभग बारह सेरदूध देती थी |इस कारण ग्वालों से दूध मँगाना बंद कर दिया |ईर्ष्यावश अपने धंधे को मंदाहोतेदेख ग्वाला गुड़ की बड़ी डलीके भीतर सूई रखकरगौराको खिलाकर निर्दोष प्राणी की असमय मृत्यु निश्चित कर देता है | मर्मस्पर्शी इस कथा को पढ़ें |

दुर्मुख

प्रस्तुतकहानी ‘दुर्मुख ‘लेखिकामहादेवीवर्माद्वारालिखितखरगोशशावककीकहानीहै| कहानीमेंदुर्मुखकीक्रोधीस्वाभावकेकारणउसेकोईलड़ाकू,दुर्वासाआदिनामसेपुकाराजाताथा| अपनेक्रोधीस्वाभावके कारणवहमहादेवीकेपालतूपशु-पक्षियोंकोनुकसानपहुँचाता था| उसकेक्रोधकोकमकरनेकेलिए मादाखरगोशहिमानीकोलायागया| दुर्मुखकाक्रोधकमनहींहुआ| हिमानीकेसंयोगसेजो शावकहुए दुर्मुख उन्हेंहीनुकसानपहुँचानेलगा| एकबारअपनेक्रोधीस्वाभावकेकारणदुर्मुखसँपोलेपरहीआक्रमणकरबैठा|क्रोधीप्रकृतिमेंभीपार्थिवरूपसेमारकविषनहींरहता| इसीसेबेचारादुर्मुखसँपोलेकाभीदंशन – विषनहींसहसका, परन्तुमृत्युसेपहलेउसनेशत्रुकेदोखानकरकेअपनाप्रतिशोधलेलिया| कहानीमेंमातृ-स्नेहसेवंचितशिशुशावककेह्रदयस्पर्शीकथाहै|

निक्की, रोजीऔररानी

महादेवी वर्मा को पशु-पक्षियों से अत्यंत प्रेम था | प्रस्तुतकहानीमेंनिक्कीनेवला, रोजीकुत्ती औररानीघोडीकीकहानीहै| रोजीकुत्तीमहदेवीकेपिता केकिसीराजकुमारविद्यार्थीद्वाराउन्हेंउपहारस्वरूपभेंटडीगईथी| निक्कीउन्हेंउनकेप्रियविश्रामालयकेसूखेपोखरसेमिला|किन्हीं विशेषपरिस्थियोंमेंरानीमिली| कहानीमेंतीनों जीवोंकेबारेमेंबतायागयाहै|


नीलकंठपाठमहादेवीवर्माद्वारारचितहै| महादेवीकेजीवनकाएकबहुतबड़ाहिस्सापशु-पक्षियोंकेबीचव्यतीतहुआहै| महादेवीनेपशु-पक्षियों परआधारितअनगिनतकहानियाँलिखीहै| नीलकंठभीउसीश्रृंखला काहिस्सा है | नीलकंठएकमोरहै| महादेवीअपनेसाथदोबच्चेलेआतीहै| एकनरमोरकानामनीलकंठरखतीहैऔरदूसरेमादामोरकानामराधारखतीहै|नीलकंठस्वाभावमेंस्नेही,साहसीऔरनिडरहै| अपनेस्वभावकेकारण वहजालीघरमहादेवीवर्मातथाअन्यपशु-पक्षियोंकाप्रियबनजाताहै| परन्तुकुब्जामोरनीकेआनेसेनीलकंठकोअकालमृत्युकाग्रासबननापड़ताहै| इसरचनामेंलेखिकानेपशु-पक्षियोंकेप्रतिप्रेमऔरसंरक्षणकीभावनाकोप्रेरितकियाहै| इसरचनामेंमनुष्यऔरपक्षियोंकेबीचआपसीसंबंधोंकाबड़ाहीसुन्दररूपदेखनेकोमिलताहै|











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